रविवार, 15 फ़रवरी 2009

शीत निद्रा में चले जाना चाहिए !

दिन गुज़र गया है ! इसे फ़िर से आने में पूरा साल लगेगा ! अगले साल फ़िर से
लड़ लेना ! जितनी भी चाहो अतार्किक हिंसा और उसके फूहड़ प्रतिरोध के साथ तुम्हारा स्वागत है ! उम्मतें भी मान चुकी हैं तुम्हारे वज़ूद को ! " दुनिया में प्रेम है और वो भी हैं " फ़िलहाल तुम या तो किसी और मौसम में ढलकर सक्रिय हो जाओ ! नये बहानों ,नई उर्जा के साथ !
वर्ना तुम्हे...शीत निद्रा में चले जाना चाहिये !