सोमवार, 21 जुलाई 2008

ब्लाग उम्मतें में बेनाम टिप्पणीकार

'कुन' के शुभारम्भ के कई दिनों बाद तक मुझे मौका नहीं मिला कि मैं टिक कर बैठूं !
और किसी धारदार मुद्दे पर लिख सकूं इसी दरम्यान ब्लाग 'उम्मतें ' के आमंत्रण ने पशोपेश में डाल दिया ! इस आमंत्रण को पेंडिंग रखना मेरे वश में नही था क्योंकि 'उम्मतें ' में लेखन की मेरी अपनी ख्वाहिश 'कुन' के प्राम्भ करने से भी पुरानी है ! इसलिए आज जब मैंने ब्लाग पर ' की बोर्ड ' चलाने की सोची तो मेरी पहली प्राथमिकता 'उम्मतें ' ही बना और मैंने ,बेनाम टिप्पणीकारों पर अपनी भावनाओं को अभिव्यक्ति देदी !
इसलिए मेरे प्यारे 'कुन ' तुम सब्र करो !

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