रविवार, 15 फ़रवरी 2009

शीत निद्रा में चले जाना चाहिए !

दिन गुज़र गया है ! इसे फ़िर से आने में पूरा साल लगेगा ! अगले साल फ़िर से
लड़ लेना ! जितनी भी चाहो अतार्किक हिंसा और उसके फूहड़ प्रतिरोध के साथ तुम्हारा स्वागत है ! उम्मतें भी मान चुकी हैं तुम्हारे वज़ूद को ! " दुनिया में प्रेम है और वो भी हैं " फ़िलहाल तुम या तो किसी और मौसम में ढलकर सक्रिय हो जाओ ! नये बहानों ,नई उर्जा के साथ !
वर्ना तुम्हे...शीत निद्रा में चले जाना चाहिये !

5 टिप्‍पणियां:

Sanjay Grover ने कहा…

दिन गुज़र गया है ! जितनी भी चाहो अतार्किक हिंसा और उसके फूहड़ प्रतिरोध के साथ तुम्हारा स्वागत है ! " दुनिया में प्रेम है और वो भी हैं " फ़िलहाल tumhe नये बहानों ,नई उर्जा के साथ
शीत निद्रा में चले जाना चाहिये !

के सी ने कहा…

नमीरा जी इस दिन के आने का तो अब बस इंतजार ही रह जाएगा

उम्मतें ने कहा…

मैं खुश हूँ ! आप नियमित लिखा करें !

Dev ने कहा…

Bahut sundar rachana...i lvoe to read ur next poem..Regards

Lines Tell the Story of Life "Love Marriage Line in Palm"

कडुवासच ने कहा…

... behatreen abhivyakti !!!