गुरुवार, 28 अगस्त 2008

कुन

अव्वल तो यह कि कई दिनों तक निजी /पारिवारिक कारणों से ब्लाग तक पहुंचना सम्भव नही हुआ और दूसरा यह कि टेलीफ़ोन्स और इंटरनेट पर ईश्वर तक का ज़ोर नहीं चलता तो हम किस खेत की मूली होते ! कहने का मतलब यह है कि पहले ख़ुद की समस्याएं और बाद में इन्टरनेट सर्विसेस ने बेबस कर दिया !

अब जब ब्लाग पर पहुंचे तो 'कुन के लिए ' और 'खैरियत तो है ' ने अहसास दिलाया कि कुल १८ दिनों का नागा हो चुका है ! इसलिए 'खैर' की दुआओं के लिए बहुत बहुत शुक्रिया !

यह जानकर खुशी हुई कि 'उम्मतें ' हैरान- ओ - परेशानकुन हैं !

आपके लेख और टिप्पणी पर मेरा रिएक्शन यह है कि जिस तरह से आप परेशानकुन हैं उसी तर्ज पर एक लफ्ज़ है 'कारकुन' यानि कि काम करने वाला !
मतलब यह है कि 'कुन' पर्शियन (फ़ारसी भाषा के ) प्रत्यय के रूप में -'करने वाला' है और अरबी भाषा में 'कुन ' क्रिया है जिसका मतलब है 'हो जा' !
आपको स्मरण होगा कि 'कुन' यानि कि 'हो जा ' शब्द ईश्वर की जुबान से निकले थे , जिनसे सृष्टि की रचना हुई !

मैंने ब्लाग का नाम चुनते समय अरबी शब्द 'कुन' को ख्याल में रखा था उम्मीद है एक 'रचनाकार' के रूप में मेरी भावनाओं को आप समझ गए होंगे !

4 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

जी, पुनः स्वागत है.

बेनामी ने कहा…

ब्लाग के सृजनकर्ता के रूप में "कुन" नाम रखना आपकी कल्पनाशीलता और चिंतन धारा का परिचायक है मुझे आपके सह लेखक और अंतर्जाल स्वजन होने पर गर्व है !

आपके लिए मेरे मन में सम्मान बढ़ गया है !

जय श्रीवास्तव ने कहा…

पढ़कर अच्छा लगा !

मेरा ख्याल है ब्लागिंग को जूनून / पागलपन / सनक की तरह से करने का कोई मतलब नही है आप अपनी सुविधाके अनुसार ही इसे करें ! मनुष्य के रूप में हमारी दूसरी भूमिकाएं और जिम्मेदारियां भी हैं जिन्हें पूर्ण करना सतत किंतु अर्थहीन ब्लागिंग से बेहतर है ! आपका लेखन स्तरीय है कृपया इसे बनाये रखें !
शुभकामनाओं सहित

Syyed Hassan Aman Ali Katghora ने कहा…

Qun...titel Asal men "Allah Rabbul Izzat" ki Humd-o-sana hai, meri duayen...> insha-allah fir milenge Syed Hassan Ali
Katghora